ह्वेन त्सांग कौन था व ह्वेन त्सांग की भारत यात्रा
(Hiuen Tsang or Hensang)
अगर आप ह्वेन त्सांग आर्टिकल को पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आपको ह्वेन त्सांग व उसकी भारत यात्रा आर्टिकल के संबंध में जानने की अत्यंत रुचि है अतः आपसे आशा है कि आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़ेंगे
ह्वेन त्सांग कौन था | ह्वेन त्सांग की भारत यात्रा - who was Hiuen Tsang or Hensang |
ह्वेन त्सांग कौन था - who was Hiuen Tsang or Hensang
ह्वेन त्सांग चीनी यात्री था जो सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था उसने भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति का वर्णन भी किया था इसने भारत के बारे में विस्तार से समझाया है उसने समझाया है की उस समय भारत में शासन व्यवस्ता कैसे चलती थी शासन संचालन में किन नियमो या कानूनों का प्रयोग होता था यद्यपि उसने भारत को आर्थिक व सामाजिक द्रष्टि से संपन्न बताया
ह्वेनत्सांग का जन्म 602 ईसवी में हुआ था तथा इसकी
मृत्यु 664 ईस्वी में हुई थी चार भाई बहन था वह
अपने भाई बहनों में सबसे छोटा था ह्वेन त्सांग के पिता
उच्च पद पर थे ह्वेनत्सांग इसके बावजूद भी एक बौद्ध
भिक्षु बनना चाहता था ह्वेन त्सांग के बड़े भाई का नाम
चेन्सू था
Hensang मात्र 13 वर्ष की आयु में अपनी अत्यंत
प्रतिभा के कारण मठाधीश बन गया वह संस्कृत का एक
बड़ा विद्वान भी था Hiuen Tsang or Hensang
की भारत यात्रा ने इसको अत्यंत ज्ञानवान और पारंगत
किया
ह्वेन त्सांग की भारत यात्रा - Hiuen Tsang's visit to India
Hiuen Tsang 629 ईस्वी में भारत जाने के लिए
उत्सुक था अथार्त वह भारत की कहानियों से अत्यंत
प्रभावित हुआ यहाँ तक की उसने प्रथम बार भारत जाने
का विचार उसने सपने में देखा था उस समय भारत में
तुर्कों का और तंग वंश के बीच भयंकर युद्ध चल रहे थे
और इस कारण राजा ने विदेश यात्रा निषेध कर रखी थी
किंतु इसके बावजूद भी उसके अत्यंत भारत जाने की
इच्छा ने आखिरकार अपने लक्ष्य को पाने के लिए एवं
विभिन्न परेशानियों भरे रास्तों से होकर
भारत Hensang आ ही गया उसको भारत यात्रा के
बीच कई जैन व हिंदू लोगों से सामना भी हुआ
Hensang आखिरकार 630 ईस्वी में भारत आया था
ह्वेन त्सांग किसके शासनकाल में भारत आया था - In whose regin Hiuen Tsang came to india
ह्वेनत्सांग सम्राट हर्षवर्धन जैसे उत्तरी भारत के महान
सम्राट हर्ष के शासनकाल में भारत आया था
हेनसांग की नालंदा यूनिवर्सिटी से संबंध भारत यात्रा के
ह्वेनत्सांग ने कुशीनगर की यात्रा भी की थी लेकिन भारत
का महत्वपूर्ण समय उसका कन्नौज में बीता था जिसके
सम्राट हर्षवर्धन थे ये अपने देश की कनौज में ही 8 वर्षों
के रहने के पश्चात चला गया था यद्यपि हैं डसम कन्नौज
से पहले गांधार आया था किंतु गांधार वह नहीं रुका
था बहुत ही अधिक समय उसका कन्नौज में बीता था
वह भारत में रहते हुये उसने भारत के ऊपर पुस्तक भी
लिखी है ह्वेनत्सांग ने अपनी पुस्तक में बताया कि
भारत में गाय का मांस खाने पर पूर्ण प्रतिबंध है भारत
हर क्षेत्र में समृद्ध साली है आतः ह्वेनत्सांग की भारत
यात्रा से भारत की इतिहास की अत्यंत महत्वपूर्ण
जानकारी प्राप्त होती है अतः इसकी भारत यात्रा का
चीनी यात्रिओ की यात्रा में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है
ह्वेनत्सांग का नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन - Hiuen Tsang or Hensang studied in Nalanda University
साथ ही जुड़ गया था ये विश्वविद्यालय उस समय का
सबसे आधुनिक व सबसे ज्यादा सम्मानीय
विश्वविद्यालय था
दरअसल हेनसांग भारत यात्रा के दौरान तक नालंदा
यूनिवर्सिटी में अधिकांश समय अध्ययन किया इसने
भारत यात्रा की 10 वर्षों की यात्रा में 6 वर्ष नालंदा
यूनिवर्सिटी अथवा नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन
करके ह्वेन त्सांग ने भारत की समृद्धशाली इतिहास
का अध्ययन में अपनी पुस्तक भी लिखी
ह्वेन त्सांग की पुस्तक का नाम क्या था - What was the name of the book of Hiuen Tsang
Hiuen Tsang की पुस्तक का नाम शी-यू -की है इसमें
Hiuen Tsang ने अपनी यात्रा के साथ साथ
में 138 देशों की यात्रा का विवरण किया है शी-यू
-की अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है क्योंकि
इसमें ह्वेन त्सांग ने भारत के बारे में विस्तार से समझाया
है अतः शी-यू -की का भारतीय इतिहास के बारे में
योगदान महत्वपूर्ण है