पृथ्वी की आंतरिक संरचना और उसकी विभिन्न परते
नमस्कार दोस्तों आज हम आपसे पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में अत्यधिक महत्व्पूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहे है पृथ्वी की आंतरिक संरचना की लगभग सम्पूर्ण जरूरी जानकारी इस आर्टिकल को पड़ने के बाद आपको समझ आ जाएगी आशा है आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ेंगे
पृथ्वी (earth) की आंतरिक संरचना की सम्पूर्ण जानकारी |
पृथ्वी पर उपस्थित स्थलीय भाग को स्थलमंडल नाम से जाना जाता है स्थलमंडल बड़ी-बड़ी तथा अत्यंत भारी या घनत्व वाली प्लेटो तथा अन्य पदार्थो से मिलकर बना है पृथ्वी की आंतरिक संरचना प्याज के छिलको जैसी है
पृथ्वी की आंतरिक संरचना
हमारी पृथ्वी की आंतरिक संरचना को प्रत्यक्ष रूप से ज्ञात नहीं किया जा सकता इसके लिए अप्रत्यक्ष विधि प्रयोग में लाई जाती है पृथ्वी की आंतरिक संरचना ज्ञात करने हेतु भूकंपीय तरंगों व ज्वालामुखीय क्रियाओ आदि का सहारा लेते हैं जिनसे पृथ्वी की संरचना की निम्न जानकारी प्राप्त होती है
विभिन्न मानदंडों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना को तीन भागों में बांटा जाता है
1. भूपर्पटी (Crust)
भूपर्पटी पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत मोटाई आईयूजीजी (IUGG ) के अनुसार 30 से 35 किलोमीटर है यह मुख्यता ठोस है
भूपर्पटी को दो भागो में बाँटा गया हैं -
ऊपरी क्रस्ट या महाद्वीपीय क्रस्ट
- इसकी मोटाई 25 से 30 किलोमीटर है
- इसका घनत्व 2.7 ग्राम/घनसेन्टीमीटर है
- यह मुख्यता ग्रेनाइट नामक चट्टान की बनी हुई है
- निचली क्रस्ट की मोटाई लगभग 5 से 10 किलोमीटर है
- इसका घनत्व 3 ग्राम/घनसेन्टीमीटर है
- यह बेसाल्ट नामक चट्टानों से मिलकर बनी हुई है
भूपर्पटी की गहराई पर्वतो से सर्वाधिक होती है जैसे -जैसे पर्वतो से नीचे आने लगते है तो गहराई या मोटाई भी क्रमशः घटने लगती है समुद्रो से यह अत्यंत कम गहरी रह जाती है समुद्रो में यह बेसाल्टिक भूपर्पटी के रूप में पाई जाती है
2. प्रावार (Mantle)
- प्रावार या मेन्टल पृथ्वी की दूसरी परत है |
- यह मोह सीमांत द्वारा भूपर्पटी से अलग रहती है
- इसका घनत्व लगभग 5.7 ग्राम/घनसेंटीमीटर है
- यह 2900 किलोमीटर की गहराई तक पाई जाती है
- यह पृथ्वी का सबसे विस्तृत आयतन में सबसे बड़ा भाग है
- इसमें 700 किलोमीटर की गहराई में भूकंप लगभग समाप्त हो जाते हैं
क्योंकि अधिक दबाव के कारण चट्टानों में सामान्यतः विस्थापन नहीं होता है इसे रेपिटी असंबद्धता या रेपिटी सीमांत द्वारा अलग किया जाता है
3. क्रोड (Core)
क्रोड का विस्तार 6371 किलोमीटर तक पाया जाता है जो मुख्यता दो भागों से बना हैबाह क्रोड और आंतरिक क्रोड
बाह क्रोड
बाह क्रोड का विस्तार 5150 किलोमीटर तक है जो मुख्यतः तरल अवस्था में रहता है इसका घनत्व लगभग 10ग्राम/घनसेंटीमीटर है
आंतरिक क्रोड
आंतरिक क्रोड का विस्तार 5150 किलोमीटर से 6370 किलोमीटर तक है यह मुख्यता ठोस अवस्था में पाया जाता है तथा घनत्व लगभग 13.6ग्राम/घनसेंटीमीटर है
पृथ्वी के क्रोड़ का तापमान 5000 डिग्री सेल्सियस से 6000 डिग्री सेल्सियस तक होता है निकिल और आयरन की अधिकता के कारण इसे नीफे भी कहा जाता है तो मैंटल से गुटेनवर्ग सीमांत द्वारा क्रोड अलग होता है जबकि बाह क्रोड़ एवं आंतरिक क्रोड को लेहमन सीमांत अलग करता है
यह पृथ्वी का सबसे आधुनिक वर्णन था
यूरोप के देश ऑस्ट्रिया के भौगोलिक जानकर स्वेज ने पृथ्वी के आंतरिक संरचना को उनमे पाए जाने बाले पदार्थो की मात्रा के आधार पर निम्न भागो में बाटा -
- सियाल - ऊपरी भाग को सियाल अथार्त सिल्का व एल्युमीनियम की अधिकता के कारण
- सीमा - मध्य भाग को सीमा अथार्त सिल्का और मेग्नीशियम की अधिकता के कारण
- नीफे - सबसे आंतरिक भाग को अथार्त निकिल और आयरन की अधिकता के कारण
उम्मीद करते है दोस्तों यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा |