केतकी के फूल के बारे में :
सफेद रंग का यह Ketki ka phool देखने में काफी सुंदर होता है इसका आंतरिक भाग हल्के पीले सुनहरे रंग का दिखता है जो इसकी सुंदरता को काफी अधिक बढ़ा देता है केतकी के पौधे की पत्तियां का उपयोग छाते टोपिया चटाईया बनाने में किया जाता है कई जगह केतकी की नरम पत्तियों का प्रयोग सब्जियों के तौर पर भी किया जाता है इसकी सब्जी कफनाशक होती है यह ना केवल सुंदर दिखने वाला फूल है बल्कि बल्कि इसका पौधा अपने भीतर कई औषधीय गुण भी समेटे हुए है
शिवजी पर क्यों नहीं चढ़ाते केतकी का फूल :
अब हम शिव महापुराण के अनुसार उस केतकी के फूल की कहानी को को जानेंगे कि भगवान शिव को केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ाते ?
एक बार की बात है जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी अपनी अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने के लिए भयंकर युद्ध छिड़ गया दोनों ही अपनी अपनी श्रेष्ठता को सर्वोच्च मानने लगे भगवान ब्रह्मा जी बोले हम सृष्टि के रचयिता है अतः हम श्रेष्ठ हैं तभी विष्णु जी बोले हम सृष्टि के पालन कर्ता है अतः हम श्रेष्ठ हैं तभी अचानक एक विशाल शिवलिंग प्रकट हुआ और ब्रह्मा विष्णु ने निश्चय किया यदि शिवलिंग का दूसरा सिरा जो कोई सबसे पहले ढूंढ लेगा वही श्रेष्ठ माना जाएगा लगभग 1000 सालों तक शिवलिंग का सिरा ना मिलने के बाद भगवान विष्णु लौट आए और ब्रह्मा जी से कहा हमें शिवलिंग का सिरा नहीं मिला भगवान ब्रह्मा जी को भी शिवलिंग का सिरा नहीं मिला था किंतु उन्होंने भगवान विष्णु से केतकी फूल को साक्षी मानकर कह दिया कि हमें शिवलिंग का सिरा मिल गया था तभी भगवान भोलेनाथ वहां क्रोध रूप में प्रकट हुए और भगवान ब्रह्मा की आलोचना की और उन्होंने केतकी के फूल को झूठ का साथ देने के लिए दंडित किया और कहा हे सुंदर केतकी तुम हमारी पूजा के कभी हिस्सा नहीं बन पाओगे अतः ध्यान रहे की पूजा में भगवान शिव पर केतकी का फूल शिव महापुराण के अनुसार वर्जित किया गया है
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