पंडित जवाहरलाल नेहरू ! jawaharlal nehru ki Biography, Essay, family in hindi
पंडित जवाहरलाल नेहरू ! jawaharlal nehru ki Biography, Essay, family in hindi |
यदि मैं देश भक्ति करते करते मर भी गया तो मैं चाहता हूं कि मेरी भस्म को उन खेतों में बिखेर दिया जाए जहां भारतीय किसान कड़ी मेहनत करते हैं और भारत की धूल और मिट्टी में मिलकर में भारत का अभिन्न अंग बनना चाहता हूं
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय -
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर अट्ठारह सौ नवासी को उत्तर प्रदेश वर्तमान के इलाहाबाद नामक शहर में एक धनाढ्य परिवार के घर में हुआ था
पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता एक प्रसिद्ध वकील थे उनका नाम मोतीलाल नेहरू था वह भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कुछ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे
पंडित जवाहरलाल नेहरू की माता का नाम स्वरूपरानी था उन्होंने उनका सही तरीके से लालन-पालन किया और अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को एक अच्छी शिक्षा दी
पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा -
पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा पर कई शिक्षक का काफी असर पड़ा उन्होंने अपनी शिक्षा घर पर ही की पंडित जवाहरलाल नेहरू एक काफी समृद्ध परिवार में जन्मे थे इसलिए उनकी प्रारंभिक शिक्षा काफी अच्छी हुई उन्हें देश विदेश में पढ़ने का मौका भी मिला वे दुनिया के वेस्ट शिक्षण संस्थानों में भी पढ़े
महात्मा गांधी की प्रेरणादायक जीवनी
पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने बेल्जियम शिक्षक फरडीनैंड ब्रुक्स से काफी प्रभावित थे पंडित जवाहरलाल नेहरू स्कूल शिक्षा के लिए ब्रिटेन की राजधानी लंदन गए वहां हैरो नामक स्कूल में दाखिला लिया और हैरो नामक प्रसिद्ध स्कूल में उन्होंने अपनी स्कूलिंग पूरी की उसके पश्चात उन्होंने एक लंदन के प्रसिद्ध कॉलेज जिसका नाम है ट्रिनिटी कॉलेज से अपनी आगे की शिक्षा पूरी की
पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रकृति प्रेमी भी थे इसलिए उन्होंने स्नातक की डिग्री प्रकृति विज्ञान से ही की इसके पश्चात पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री प्राप्त की और इसके पश्चात पंडित जवाहरलाल नेहरू अपनी पढ़ाई समाप्त कर भारत लौटे इस दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत लौटे थे वह शुभ दिन 1912 का था
पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी का नाम क्या था
पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी का नाम श्रीमती कमला नेहरू था जब पंडित जवाहरलाल नेहरू 1912 में वकालत की डिग्री हासिल कर इंग्लैंड से भारत लौटे थे उसके 4 वर्ष पश्चात 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ था
स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश पंडित जवाहरलाल नेहरू की भूमिका
अपनी शिक्षा पूर्ण कर जब भारत लौटे तब उन्होंने भारतीयों की स्थिति को अत्याधिक गंभीरता से देखा और उन्होंने गांधीजी की कहने पर अपना सुखमय जीवन को त्याग कर खादी कुर्ता में आए और उन्होंने गांधी टोपी भी धारण की
स्वतंत्रता संग्राम में 1921 में गांधी जी के साथ मिलकर असहयोग आंदोलन भी चलाया पंडित जवाहरलाल नेहरु स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे
1924 में इलाहाबाद में नगर निगम के उन्हें अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया किंतु मात्र दो वर्षो में ही उन्होंने यह पद त्याग दिया और पंडित जवाहरलाल नेहरु आंदोलन में पुनः वापस आये देशभक्ति उनके लिए सबसे आगे रहती थी और
उन्होंने भारत की एकता और अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध नियमावली से लड़ने वाला उस समय के राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव बने
जवाहरलाल नेहरु की लाहौर अधिवेशन में भूमिका
दिसंबर 1929 के दिन लाहौर में एक अधिवेशन किया गया जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू को उस समय का भारत का प्रसिद्ध राजनीतिक दल कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अधिवेशन में घोषणा की कि हम 26 जनवरी 1930 के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे
यह दिन की घोषणा के बाद देश में स्वतंत्रता प्रयास कई गुना तक तीव्र हो गया और पंडित जवाहरलाल नेहरु स्वतंत्रता के आंदोलन में अपनी भूमिका व देशभक्ति जी जान से निभाते रहे इसके लिए उन्हें 9 बार जेल भी जाना पड़ा उनकी कूटनीति से ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़ते थे
लगातार उनके कूटनीतिक कामो की बजह से ब्रिटेन पर भारत को आजाद करने का दबाब विश्व स्तर पर बनता गया अंत में ब्रिटेन ने कैबिनेट मिशन भारत भेजा और देश आजादी के काफी करीब आ गया था
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लगातार तीन आम चुनाव 1952 1957 1962 में अपनी बहुमत से सरकार बनाई इसके पहले उन्होंने भारतीय संविधान में भी काफी मदद की वह संविधान सभा में उद्देशिका नामक प्रस्ताव लाकर संविधान का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया उन्होंने देश की विकास के लिए पंचवर्षीय योजना नामक नीति दी जिससे भारत विकास के तीव्र कदम पर चलने लगा आराम हराम है यह वह अक्सर कहते थे
बाल दिवस और पंडित जवाहरलाल नेहरू
14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाया जाता है पंडित जवाहरलाल नेहरु बच्चों से अत्यधिक लगाव रखते थे बच्चों के चाचा कहलाते थे बच्चों उन्हें चाचा नेहरू-चाचा नेहरू के नाम से बुलाया करते थे 1951 में उन्होंने भारत की राजधानी दिल्ली में प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन भी करवाया था