अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रेरक कहानी ! Albert Einstein biography in hindi

 अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रेरक कहानी ! Albert Einstein biography in hindi

आज हम अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रेरक कहानी  जिसकी आप सब लोगो को इंतजार था जानेगे कैसे albert Einstein कैसे छोटे - छोटे प्रयासों से साइंस जगत में धूम मचा दी तभी तो उनको मॉडर्न फिजिक्स का पितामह कहा जाता है 
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रेरक कहानी ! Albert Einstein biography in hindi
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रेरक कहानी ! Albert Einstein biography in hindi



उस  समय से वर्तमान तक शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो जिनको पूरी दुनिया आइंस्टीन को नहीं जानता होगा उनका नाम लेते ही विज्ञान की नई नई कहानियां दिमाग में उमड़ने लगती हैं विज्ञान की ऐसी खोजें जिनको मानव जाति के लिए एक चमत्कार सा माना जाता था albert Einstein  ने खोज  डाली आइंस्टीन का भौतिक विज्ञान में योगदान अतुलनीय था 

अल्बर्ट आइंस्टीन को टाइम्स पत्रिका के एक सर्वेक्षण में शताब्दी के व्यक्तित्व के रूप में 1999 में उन्हें शताब्दी पुरुष की उपाधि मिली उनके तेज दिमाग के आगे दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट घुटने टेक देते थे उनकी अति महत्वपूर्ण खोजे मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है  चाहे वो सापेक्षता का सिद्धांत हो या द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन की थ्योरी हो ऐसे ही अनेको खोजे साइंस जगत में उनकी प्रमुख भूमिका दर्शाती है आइये जानते है क्या है Albert Einstein biography in hindi में खास देखते है 

 Albert Einstein biography in hindi

14 मार्च 1879 को जर्मनी के एक यहूदी परिवार में जन्मे अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म बुटेमबर्ग  में हुआ था उनका परिवार मात्र डेढ़ महीने बाद ही म्यूनिख जा बसा था उनके चाचा और उनके खास पिता ने प्राइवेट सेक्टर में चले जाना और फिर आइंस्टीन का साइंस जगत के पितामह कहलाना  एक अद्भुत बात थी 

अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रारंभिक शिक्षा -

अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रारंभिक शिक्षा  लुइटपोल्ड  जिम्नेशियम में हुई थी इसके अलावा अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी शिक्षा विदेशों में भी की उन्होंने यूरोप के कई देश जैसे इटली स्विज़रलैंड आदि में भी की अपनी शिक्षा में साइंस के प्रति  उनकी सूची एक अद्भुत चौंकाने वाली थी वह सदैव दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में साइंस  की बातों को खोजना उनका रोज का काम होता था 

अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1901 में डिप्लोमा प्राप्त किया और स्विट्जरलैंड का नागरिक बन गए  और उन्होंने प्रारंभिक स्तर पर स्विज़रलैंड में स्विज़ पेटेंट ऑफिस में जॉब की उनकी पोस्ट टेक्नीकल असिस्टेंट की थी 

उन्होंने जॉब करते करते भी साइंस जगत को अपने से जोड़े रखा 1905 में उनके जीवन के सबसे अमूल्य वर्ष के रूप में जाना जाता है उनके 4 खोजो को कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ अल्बर्ट आइंस्टीन को इसी वर्ष साइंस में डॉक्टरेट की डिग्री भी मिली | 

अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत -


सापेक्षता का सिद्धांत ने आइंस्टीन की ख्याति को कई गुना तक बढ़ा दिया था आइंस्टीन ने कहा था कि कोई भी वस्तु गुरुत्वाकर्षण के अधीन खिचाव महसूस करती  है आइंस्टीन ने कहा था संपूर्ण ब्रह्मांड में हर वस्तु के ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करता है  क्योंकि प्रत्येक वस्तु अपने द्रव्यमान और आकार के अनुसार इधर-उधर इर्द-गिर्द से बल  पैदा कर देती है यह सिद्धांत आइंस्टीन ने दिया तो प्रारम्भ में विवादस्पद भी रहा 
 

सापेक्षता का सिद्धांत और E =MC2 में आइंस्टीन ने बताया कि सभी परीक्षकों के लिए निर्वात में प्रकाश की गति हमेशा एक ही जैसी होती है इसका नतीजा यह होता है कि दो घटना एक विशेष पर्यवेक्षक के समकालीन प्रतीत होती हैं वहीं घटना दूसरे पर्यवेक्षक को समकालीन प्रतीत नहीं होती है 

 अल्बर्ट आइंस्टीन की अन्य खोज और पुरुस्कार 

इसके अलावा अल्बर्ट आइंस्टीन  ने प्रकाश विद्युत प्रभाव की भी खोज की 1921 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार  से आइंस्टीन को सम्मानित किया गया आइंस्टीन को फ्रैंकलिन मेडल से भी सम्मानित किया गया अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में कई बड़े-बड़े पुरुस्कार भी जीते उनका जीवन मानव जगत में सदैव प्रेरणा का स्त्रोत रहा है उन्हें 


 अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन की महत्वपूर्ण कहानिया 

आइंस्टीन के जीवन में कई ऐसी कहानी है जो विशेष महत्व रखती है जैसे कि एक बार आइंस्टीन का अपना घर का पता भूल जाना और फिर उन्होंने एक टेंपो चालक से कहा मुझे आइंस्टीन के घर जाना है क्या आप मुझे आइंस्टीन के घर तक पंहुचा सकते हो 

तो  टेंपो चालक ने कहा उनका घर कौन नहीं जानता है पूरे शहर और देश में उन्हें सब लोग अच्छी तरह से पहचानते हैं और टेंपो चालक आइंस्टीन को उनके घर छोड़ा और तब टेंपो चालक को बाद में पता चला कि यही आइंस्टीन है तब वह अत्यधिक प्रसन्न हुआ
  

आइंस्टीन की मृत्यु कब और कैसे हुई 

18  अप्रैल 1955 को 76 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु न्यू जर्सी नामक प्रान्त में हो गई 
इसके बाद एक वैज्ञानिक जिसका नाम डॉक्टर थॉमस ने आइंस्टीन के मस्तिष्क को निकाल लिया और 240 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर रिसर्च के लिए भेजा और उन्होंने पाया कि आइंस्टीन के दिमाग में एक सामान्य इंसान की अपेक्षा काफी विकास था अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग में कोशिकाओं की संख्या सामान्य इंसान की तुलना में ज्यादा थी


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