महात्मा गाँधी जी की जीवनी ! Biography of mohandas karam chandra gandhi in hindi

महात्मा गाँधी जी की जीवनी ! full Biography of mohandas karam chandra gandhi in hindi

 आप भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जीवनी  आर्टिकल को पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आपको Mahatma gandhiji biography in hindi के सम्बन्ध में जानने की  रुचि है अतः आपसे आशा है कि आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़ेंगे
महात्मा गाँधी जी की जीवनी ! Biography of mohandas karam chandra gandhi in hindi
महात्मा गाँधी जी की जीवनी ! Biography of mohandas karam chandra gandhi in hindi



महात्मा गाँधी जी की जीवनी - Biography of Mahatma Gandhi ji

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत देश की आन बान और शान रहे वह ना केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक हैं बल्कि वह राष्ट्रपिता के रूप में पूरे भारतवर्ष में  विख्यात हैं 

उस समय भारत देश  कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था अत्याचार से पीड़ित इस भारतीय धरा पर गांधी ही एक ऐसा नाम  था  जो भारत को एक नई राह पर चलाकर स्वतंत्रता रुपी अनमोल रत्न पहना सके गाँधी उस  समय एक नाम नहीं अब तो विचारधारा बन गई 
 भारत गुलामी की जंजीरों में था इस समय अंग्रेजों के अत्याचार ने भारतीयों को अंदर से हिला कर रख दिया था भारतीय चाह कर भी अत्याचार का विरोध नहीं कर पाते थे इस समय भारत में गांधी के रूप में एक ऐसा नेता सामने आया जो बिना किसी शस्त्र उठाए शस्त्रों का मुकाबला करने में सक्षम था

उनके अहिंसा के संदेश पूरे विश्व को प्रेरित करते हैं भारत के लोगो में उनके प्रति लगाव बहुत ज्यादा है तभी तो हिंदी के प्रमुख कवि रहे सोहनलाल दुवेदी ने कहा है -

चल पड़े जिधर दो पग डगमग, चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गई जिधर भी एक द्रष्टि ,गढ़ गए कोटि द्रग उसी ओर | 

यह सुन्दर लाइन आपको Biography of mohandas karam chandra gandhi पढ़ने के बाद समझ जरूर आ जाएगी चलिए प्रारभ से जानते है 

महात्मा गाँधी का जन्म - where Mahatma Gandhi born


महात्मा गांधी जी का जन्म  2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था 

गांधीजी एक समृद्ध और एक धनी परिवार में जन्मे थे गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद्र गांधी था जो कि पोरबंदर में एक प्रसिद्ध दीवान थे  

गांधी जी की माता का नाम पुतली बाई था जो कि एक अत्यंत धार्मिक और पूजा में रुचि रखने वाली महिला थी 

उन्होंने अपने पुत्र महात्मा गांधी को भी धार्मिक विचारधारा से बांधे रखा यही कारण था कि महात्मा गांधी राजनीति में आने पर भी धार्मिक आदर्शो  का साथ नहीं छोड़ते थे गाँधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरवा वाई था 

महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा - Early education of mahatma gandhiji

 महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा  गुजरात के पोरबंदर में एक छोटे से स्कूल में हुई उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए गांधी जी ने श्यामलदास कॉलेज में एडमिशन लिया किंतु कॉलेज उनके मन को ना भाया  

 अंततः महात्मा गाँधी के भाई लक्ष्मीदास ने बैरिस्टर्स की शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया 
 

गाँधी जी की आयु मात्र 13 वर्ष थी तभी उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से कर दिया गया 

महात्मा गाँधी की अफ्रीका यात्रा - Mahatma Gandhi's visit to africa 

जब महात्मा गांधी जी 1891 में बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर भारत आये और देश के महानगर मुंबई में अपनी वकालत आरम्भ की तब 1893 में वकालत के मामले के चलते उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा 


 गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में देखा कि अंग्रेज वहाँ के भारतीयों तथा अश्वेतो के साथ जानवरो जैसा वर्ताव कर रहे है  महात्मा गाँधी ने वहाँ के लोगो का जीवन को गंभीर स्थिति में देखा तो गांधीजी को बड़ा दुख हुआ और अंग्रेजों का अत्याचार के विरुद्ध उन्होंने वीड़ा उठा लिया 

मानव होते हुए भी मानवता की भावना का अंग्रेजो में जरा भी समावेश नहीं था  और गांधीजी ने वहां मोर्चा खोल दिया  तो गांधीजी को कई बार अंग्रेजों के सामने अपमानित भी  होना पड़ा गाँधी नहीं रुके उन्होंने अपना विरोध किया और उसके लिए अहिंसा का रास्ता चुना 

जब तक गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में रहे तब तक उन्होंने अश्वेतों  और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाने के लिए सतत प्रयास किया उन्होंने अफ्रीका में प्रवास के दौरान लोगों को शिक्षित भी किया गरीबों की सेवा भी की और लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी

 आतः  गांधी जी ने अपने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान लोगों में जन जागरूकता और शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया दक्षिण दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी का अश्वेतो और भारतीयों के अधिकार के लिए प्रयास ना केवल दक्षिण अफ्रीका तक सीमित था अब तक भारत में भी उसकी ख्याति फैल चुकी थी

 गांधी जी जब दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए तो भारत के बड़े-बड़े नेताओं ने उनका अच्छा स्वागत किया इन नेताओं ने प्रमुख थे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक गोपाल कृष्ण गोखले आदि
गांधी जी के स्वागत में उपस्थित थे 

गाँधी जी का भारत आगमन  9 जनवरी 1915 को हुआ था 

 गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलन - movements run by gandhiji 


 गांधीजी का चंपारण सत्याग्रह -


गांधीजी चंपारण अर्थात बिहार के एक किसान नेता राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर वहाँ पहुंचे गरीब किसानों पर  जमींदारों का अत्याचार से गाँधी जी बहुत दुखी हुए और उन्होंने देखा कि अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करने के लिए विवश किया जा रहा है 

 अंग्रेजों द्वारा  तिनकठिया नामक प्रथा भी चलाई जा रही है  बता दे  तिनकठिया प्रथा में  किसानों  जमीन का 3/20 भाग पर नील की खेती करने की व्यवस्था थी 

गांधी जी किसानों की इस गंभीर स्थिति से अत्याधिक अंतरमन से बहुत दुखी हो गए और उन्होंने जमींदारों के अत्याचारों की जांच और उनका अंत करने के लिए सरकार पर दबाव डाला 

अंग्रेजी अफसरों ने गांधी जी को फौरन चंपारण छोड़ने का आदेश दिया किंतु गांधी जी बिल्कुल निडर रहे और  अंततः 1917 में अपने सत्याग्रह कि शुरूआत की अंत में चंपारण के किसानों को शोषण से मुक्ति दिलवाई

महात्मा गाँधी का खेड़ा सत्याग्रह  -


1918 में गांधीजी ने अहमदाबाद नामक स्थान पर कपडा मिल मजदूरों और खेड़ा के किसानों का एक नेतृत्व भी किया दरअसल खेड़ा के किसानों की समस्या यह थी कि वह अपनी फसल बर्बाद हो जाने के कारण राजस्व देने में  असमर्थ थे 

 मिलमजदूर अपनी तनख्वाह में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे गांधी जी धीरे-धीरे पूरे भारत के प्रसिद्ध  नेता बनते गए गांधी जी का खेड़ा सत्याग्रह गांधी जी द्वारा 1918 में  चलाया गया यह प्रथम पूर्ण किसान सत्याग्रह था

गाँधी जी का असहयोग आंदोलन - Gandhiji non-cooperation moment

गांधी जी द्वारा 1920 में असहयोग आंदोलन नाम से एक आंदोलन चलाया गया इसमें भारतीयों को  विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार सरकारी सेवाओं का बहिष्कार तथा सरकारी कर्मियों का काम पर ना जाना आदि के द्वारा विरोध प्रदर्शन था 

गांधीजी का उद्देश्य असहयोग आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों की अर्थव्यवस्था पर असर करना था ताकि अंग्रेजों को भारतीय लोगो की माँगे मानने के  विवश किया जा सके तभी तो गाँधी उस समय के ऐसे नेता थे जो अंग्रेजो के मर्म स्थल इकोनॉमी पर चोट पहुंचाते थे 

इसके अतरिक्त गाँधी जी ने खिलापत आंदोलन भी चलाया 

गाँधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन 


 महात्मा गाँधी जी ने 13 मार्च 1930  को अपनी डंडी यात्रा प्रारभ कर 24 दिनों की यात्रा करके अपने हातो से नमक बनाकर नमक कानून तोडा और एक बार फिर अंग्रेजो को टैक्स न देने की बात कहकर अंग्रेजो के मर्म स्थल उनकी इकोनॉमी पर असर किया सविनय अवज्ञा आंदोलन कर नमक कानून तोड़ना अंग्रेजो के मुँह पर एक करारा तमाचा था   

गाँधी जी के आंदोलन अहिंसा पर आधारित  थे इसलिए जनसमुदाय भी इसका समर्थक था तभी तो ऊपर लिखी पक्तियो में यही कहा गया है की गाँधी जिस ओर चलते थे उस ओर पूरा देश चलता था 

गाँधी जी की प्रमुख पुस्तके - books of mahatma gandhi 

महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा -  सत्य के साथ मेरे प्रयोग (my experience with truth )

इसके अतरिक्त उनकी पुस्तके इंडिया ऑफ़ माय ड्रीम , हिन्द suraj  आदि थी 

महात्मा गाँधी के आश्रम 

सावरमती आश्रम -

सावरमती आश्रम की स्थापना 1915 में गाँधी जी ने आंदोलनों को जारी रखने के लिए दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात की थी यह आश्रम अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे की थी 

गाँधी जी के अन्य आश्रम - 


टॉलस्टाय फार्म - 1902  - जॉहनसवर्ग दक्षिण अफ्रीका 

अनाशक्ति आश्रम - 1929 - कौसानी उत्तराखंड 

सेवाग्राम आश्रम - 1936 - वर्धा महाराष्ट्र 


महात्मा गाँधी की मृत्यु कब और कैसे हुई - Mahatma gandhi death date 


गाँधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को जब वह प्राथना सभा में जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नामक एक लोग ने गोली मारकर उनकी निर्मम  हत्या कर दी और सत्य अहिंसा के इस महान उपासक का निधन हुआ किन्तु उनके विचार सदैव संसार को प्रेरित करते रहेंगे 
संसार के सबसे महान साइंटिस्ट आइंस्टीन ने सत्य ही कहा है की आने वाली पीडिया शायद ही विश्वास करे की महात्मा गाँधी जैसे अहिंसा के पुजारी का इस संसार में अवतरित हुआ था 




गाँधी जी से पूछे जाने वाले प्रश्न 


गाँधी जी के सम्मान में विश्व 2 oct को किस दिवस के रूप में मनाता है - अहिंसा दिवस 

गाँधी जी को केसर ए हिन्द की उपाधि कब  दी - 9 जनवरी 1915 

गाँधी  सेवाग्राम का संत की उपाधि किसने दी - आश्रम के अतिथियों द्वारा 





 

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