विक्रम साराभाई : biography & space center in hindi

विक्रम साराभाई : full biography & space center in hindi

डॉक्टर विक्रम अम्बालाल साराभाई जिन्हे हम विक्रम साराभाई के नाम से जानते है क्यों है उनका साइंस जगत में अमर नाम आइये जानते है इसके लिए आप विक्रम साराभाई : biography & space center in hindi  के इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े 

विक्रम साराभाई : biography & space center in hindi
विक्रम साराभाई : biography & space center in hindi

आज हमारा देश अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी पताका लहरा रहा है परमाणु क्षेत्र की बात हो चाहे भौतिकी के क्षेत्र में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन की बात हो कौन नहीं जानता होगा विक्रम साराभाई जो इन सभी की मजबूरी नीव रखने में सफल हुए हमारी इसरो की नीव उन्ही के द्वारा डाली गई थी 

भारत का परमाणु कार्यक्रम आज उन्ही की बदौलत इतना आगे पहुंच पाया है वह हर मुश्किल काम के लिए असाधारण मेहनत कर उसे पूरा करते थे वे चाहते तो बिना मेहनत के भी अपनी समृद्ध परिवार पर निर्भर रहकर जीवन यापन कर सकते थें 

वाकई सही कहा था भौतिकी और रसायन दोनों की नोबल पुरस्कार विजेता मैडम क्यूरी ने की विक्रम साराभाई का उद्देश्य जीवन को सपना बनाना है और उस सपने को वास्तविक रूप देना है 

अथार्थ विक्रम साराभाई एक बहुत ही कठिन सपना देखते हैं जिसको पूरा करना बहुत मुश्किल होता है किंतु वे उसको पूरा करके भी दिखाते हैं ऐसा था विक्रम साराभाई का प्रेरणादायक जीवन आइए जानते हैं 

 विक्रम साराभाई का जन्म और परिचय 

 विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को हमारे देश के सबसे पश्चिमी राज्य गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुआ था विक्रम साराभाई यद्यपि समृद्ध परिवार में जन्मे थे किंतु उनकी लगनशील मेहनत हमेशा आपका गुण था 

 विक्रम साराभाई के पिता का नाम अंबालाल साराभाई था विक्रम साराभाई के पिता अंबालाल साराभाई एक व्यवसाई और उद्योगपति थे होना भी चाइए क्योकि भारत के मेनचेस्टर अहमदाबाद में रहते थे अथार्थ अहमदाबाद उस समय उधोगो का केंद्र था वहाँ की परिस्तिथि व्यापार अथवा उधोग-धन्दो के लिए सुगम थी 

 विक्रम साराभाई की माता का नाम श्रीमती सरला साराभाई था जो कि घर द्वारा ही संचालित एक स्कूल में शिक्षिका थी विक्रम साराभाई की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी स्कूल में हुई थी

 विक्रम साराभाई का परिवार उस समय काफी समृद्ध शाली  था बड़े-बड़े नेताओं का भी वहां आना जाना होता रहता था  भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, चंद्र्शेखर वेंकट रमन  आदि का सानिध्य विक्रम साराभाई को प्राप्त हुआ

 विक्रम साराभाई की शिक्षा 

विक्रम साराभाई की शिक्षा प्रारंभ में उनके जन्म स्थान गुजरात में ही हुई उन्होंने अहमदाबाद में इंटरमीडिएट ऑफ साइंस की अपनी पढ़ाई पूरी की और विक्रम साराभाई उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन के एक देश इंग्लैंड गए कैंब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में भी दाखिला लिया था

 उन्होंने मात्र 20 वर्ष की आयु में नेचुरल साइंस में ट्रिपॉज  नामक एक परीक्षा को काफी अच्छे अंको से उत्तीर्ण भी किया था

 दुनिया में जब दूसरे विश्व युद्ध का आगाज हुआ तो विक्रम साराभाई भारत लौट आए और देश में रहकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में सीवी रमन के साथ पांच  वर्षों तक अंतरिक्ष क्षेत्र में कार्य किया 

उन्होंने अंतरिक्ष किरणों अंतरिक्ष का इत्यादि के बारे में कई प्रमुख शोध किए विक्रम साराभाई को उष्णकटिबंधीय अक्षांश में कॉस्मिक किरणों की खोज पर नामक विषय पर पीएचडी की उपाधि हासिल कर ली 

उनका जीवन सदैव असाधारण मेहनत का गवाह रहा है भारत में तो उन्होंने 80 वैज्ञानिक शोध पत्र लिख दिए थे 40 संस्थान खोले थे हमारा इसरो की भी नीव इन्ही ने रखी थी

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विक्रम साराभाई के द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थान 

विक्रम साराभाई का जीवन हर युवा जगत के लोग के लिए बहुत अधिक प्रेरणादायक है उनका असाधारण परिश्रम दुनिया के वैज्ञानिको के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहा है 

भौतकी और रसायन दोनों की नॉवेल पुरुस्कार विजेता मेडम क्यूरी भी उनकी मेहनत और लगनशीलता से प्रेरित थी क्यों न हो भारत के लिए तो वह वरदान सावित हुए उन्होंने एक-दो नहीं अपितु 40 संस्थानों का विकास किया उनके द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थान है 
 

भौतकी अनुसन्धान प्रयोगशाला जो की अहमदाबाद में स्थित है , समुदायक विकास केंद्र की भी स्थापना उनके  द्वारा अहमदाबाद में की गई भारत का परमाणु कार्यक्रम में  भी उनके द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का चेयरमेन भी बनाया गया 

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र -vikram sarabhai space center in hindi

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना थम्बा भूमध्यसागरिय रॉकेट केंद्र के रूप में  21 नवंबर 1963 में की गई थी बाद में इसका नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रखा गया 

 विक्रम साराभाई  भारत के लिए अंतरिक्ष छेत्र में भी काम करने उतरे उनके अथक प्रयासों से विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना तरुअनन्तपुरम में की गई जोकि केरल राज्य में स्तिथ है यह वर्तमान इसरो का जनक है अभी यह इसरो की प्रमुख शाखा है 

उन्ही के प्रयासो से उनकी मृत्यु के बाद उपग्रह के रूप में भारत का प्रथम उपग्रह आर्यभट को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया यह उपलब्धि भारत के लिए बहुत बढ़ी थी 

विक्रम साराभाई के सम्मान में इसरो ने अपने चंद्रयान 2 के लेंडर का नाम विक्रम रखा गया 

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विक्रम साराभाई की मृत्यु 

विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को हो गई वह एक सफल वेज्ञानिक व उच्च कोटि के प्रबंधक के साथ-साथ एक दूरदर्शी उधोगपति भी थे वह बहुमुखी प्रतिभाओ से संपन्न भारत देश के लिए ईश्वर की एक अनमोल देन थे

 उनका जीवन वाकई हर युवा के लिए प्रेरणा दाई है उन्हें भारत सरकार द्वारा पदम् भूषण व पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया डाक विभाग ने तो उनकी मृत्यु के अगले साल डाक टिकट भी जारी किया विक्रम साराभाई के इस प्रेरणादाई जीवन को नमन हो |

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